भोर से साँझ होने को है हम तुम्हारे इंतजार में हैं! आँखों से बह गई काजल की धार, केशों में भी गांठ लगी है! दिल कहीं और दिमाग का तो जैसे कोई ज़ोर ही नहीं है! मिट्टी, दूबघास पैरों को जकड़ रखी है श्वास भी आती जाती है! अब देर ना करो आने में साजन उम्र भी अब बीती जाती है! प्रेम की तृष्णा बुझती नहीं, जैसे कोई मीरा हो गई जोगन, राधा तड़पती रहती है! 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 192 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।