जो मेरे नबी से नहीं करते है प्यार बताओ उनका कैसे होगा बेड़ा पार उनको देखो जो नबी को बसर कहते है नमाज पढ़ते है नबी को अपने जैसा कहते है कितने जालिम है कैसे होगा बक्शीश यार दिल मिल भी गया तो लहज़े नहीं मिलते है गले लग भी गए मगर वो साथ नहीं मिलते है समन्दर में अब उनका कैसे होगा कश्ती पार ज़ालिम के साथ वो इश्क मुहब्बत बहुत करते है नबी के गुलामों पर वो जुल्म बार बार करते है नबी को नहीं मानते तो कैसे करेंगे पुल्सेरात पार नफ़रत और जुल्म करने वालों के साथ चलते है नबी के बताएं हुए रास्ते पर वो नहीं चलते है आखिरत में कैसे होगा बताओं उनका नईया पार दौलत के नशे में चूर लोगों से बद्सलूकि करते है कितने ऐसे है यहां रातों में बिना कुछ सोए रहते है ऐसे दौलत का अम्बार क्या होगा इतना यार जो मेरे नबी से नहीं करते है प्यार बताओ उनका कैसे होगा बेड़ा पार उनको देखो जो नबी को बसर कहते है नमाज पढ़ते है नबी को अपने जैसा कहते है कितने जालिम है कैसे होगा बक्शीश यार दिल मिल भी गया तो लहज़े नहीं मिलते है