नव प्रभात, नव बेला है, पुलकित मन हृदय हर्षित है, नतमस्तक सभी प्रबुद्धजन, गुरुजन सब को वंदन है l पथ भटका, है अधीर मन, कष्ट असीमित है घोर तम, तुम अविनाशी, जग पालन कर्ता, हूं नतमस्तक प्रभु वंदन है l भोरौं के गुंजन का सरगम, प्रेम रस में भीगा ये मन, धरती हरी भरी उपवन, खिलता मन, हृदय से वंदन है l डॉ सोनी, बावन बीघा, मुजफ्फरपुर ©Dr SONI #WForWriters #Nojoto #Love #poetry #shyari #HiddenWriter Priya dubey