पास रुकता भी नहीं , दिल से गुज़रता भी नहीं वैसे लम्हा कोई ज़ाया नहीं लगता मुझ को गाँव छोड़ा था कभी और अब यादें छूटी अब कोई शहर पराया नहीं लगता मुझ को मोहब्बत - ए - शहर