कैसे कह दूँ मैं, कि इश्क़ नहीं तेरी किसी बात से। मैं आज भी तुझे चाहता हूँ, उसी इश्क़-ए-जज्बात से। मुझको तू भा गई और तेरी सदा मुझमें यूँ छा गई। मैं तो तेरा ही हो गया हूँ, उस पहली मुलाकात से। चाहत थी मेरी हर शाम गुज़रे, तेरे बाहों के घेरे में। पर प्यासा हूँ मैं आज भी, उस पिछली बरसात से। माँगने को तो मैंने ख़ुदा से, तेरा ही साथ माँगा था। छीनना चाहता तो छीन लेता, तुझे इस कायनात से। मेरे अल्फ़ाज़ों को तू, बेमानी ना समझना दिलबर। साहिल प्यार करता है तुझसे और तेरी हर बात से। ♥️ Challenge-587 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।