दिल की आवाज़ सुनती रही मैं, शायद तेरी कमी थी अल्फाजों में तुझे लिखती रही मैं, लेकिन स्याही ख़त्म थी लोगों से रास्ता पूछती रही मैं, पर तेरा पता झूठी थी सोचती रही मैं, हर शाम हंसी होगा शायद वक़्त को कुछ और मंजूर थी 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 दर्द दिल में एक एहसास दे जाता है जिसे हम भूल चुके थे कई अरसे पहले उसे फिर से याद दिलाता है,,,,,,,,,,,,,,,, रोना मंजूर किया है आंखों ने तो जख्मों पर पर्दा डालने का फरमान दिल ने क्यूं भेजा है,,,,,,,,