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#FourLinePoetry समझाने वाले बहुत मिले, समझने वाला

#FourLinePoetry समझाने वाले बहुत मिले,
समझने वाला कोई नहीं,
यहां दिखते सब अपने है,
पर अपना कोई नहीं l

रास्ते बहुत है लेकिन, 
मंजिले मिलती नहीं, 
चाह कर भी देखा मैंने, 
पर मेरी अपनी ज़मीन नहीं l

कोसने जाऊँ किसे मैं आखिर, 
शायद मैं उस काबिल नहीं, 
मैं हूँ, जो भी, जैसी भी हूँ, 
सच्चाई की मुरत हूं, 
तुम करते रहो छलावा,
पर मैं डिगने वाली नहीं l

अब रहा न शेष कुछ भी बाकि 
तुमको समझाने को, 
मैं थी, मैं रहूंगी सदा, 
मुझ जैसा शायद कोई नहीं l

©Dr SONI Nritya Gopal siya pandey Anita Mishra Vasudha Uttam 
#fourlinepoetry
#FourLinePoetry समझाने वाले बहुत मिले,
समझने वाला कोई नहीं,
यहां दिखते सब अपने है,
पर अपना कोई नहीं l

रास्ते बहुत है लेकिन, 
मंजिले मिलती नहीं, 
चाह कर भी देखा मैंने, 
पर मेरी अपनी ज़मीन नहीं l

कोसने जाऊँ किसे मैं आखिर, 
शायद मैं उस काबिल नहीं, 
मैं हूँ, जो भी, जैसी भी हूँ, 
सच्चाई की मुरत हूं, 
तुम करते रहो छलावा,
पर मैं डिगने वाली नहीं l

अब रहा न शेष कुछ भी बाकि 
तुमको समझाने को, 
मैं थी, मैं रहूंगी सदा, 
मुझ जैसा शायद कोई नहीं l

©Dr SONI Nritya Gopal siya pandey Anita Mishra Vasudha Uttam 
#fourlinepoetry
sumankumar5999

Dr SONI

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