इधर जिन्दगी चढाव पे,पानी का वहाब तू बता दे सही! वे माझी वे-वो माझी रे,तुम बिन जिन्दगी हर पल उदाश सी!! तू प्यार में दो कदम साथ चली तो थी,आज राहें जूदा क्यों हुई! वे माझी वे-वो माझी रे,तुम बिन जिन्दगी हर पल एहसास सी!! जीने भी मुझे मौज में,मैं निकला हूं तेरी खोज में,मुझे तेरी तलाश है! वे माझी वे-वो माझी रे,तुम बिन जिन्दगी हर पल है ख्वाब सी!! तू समझे नहीं क्यो,उलझण का दरिया जो मुझको डूबोए ऐसे! वे माझी वे-वो माझी रे,तुम बिन मेरी जिन्दगी हर पल आग सी!! तू प्यार करने लगी जो ऐसे,मैं तुझे शाहिल मानता हूं,यही जानता हूं! वे माझी वे-वो माझी रे,तुम बिन जिन्दगी हर पल आफताब सी!! तू इश्क करने लगे,तरिका ऐसा बता,बालमा अब तो ना ऐसे सता! वे माझी वे-वो माझी रे,तुम विन जिन्दगी हर पल लगे है वहाब सी!! तू मान ले तू है शाहिल मेरे,जिन्दगी लहरों में हिचकोले खाने लगी! वे माझी वे-वो माझी रे,तुम बिन जिन्दगी हर पर लगे खिलाफ सी!! इधर जिन्दगी चढाव पे Aaruhi singh ( neha) रोहित तिवारी ।