White **कोई अपना अपना नहीं** कोई अपना अपना नहीं, ये सच ज़िंदगी ने सिखाया है। जहाँ विश्वास के दीप जलाए थे, वहीं अंधेरा छाया है। अपनों के चेहरों पर नकाब देखे, मुस्कानों में छिपे जवाब देखे। जिनसे दिल की हर बात कही थी, वही बने सवालों का हिसाब देखे। रिश्तों के धागे कमजोर निकले, भावनाओं के पल कमजोर निकले। जिन्हें थामा था तूफानों में, वो ही साहिल पर अदृश्य निकले। अब समझा, ये दुनिया का रिवाज है, हर रिश्ता केवल एक अंदाज़ है। जहाँ अपनी उम्मीदों का दीप जलता है, वहीं अपनों से टूटने का आगाज़ है। अब नहीं शिकायत किसी से मुझे, हर जख्म ने सिखाया है मुझे। कोई अपना, अपना नहीं होता, ज़िंदगी ने यही समझाया है मुझे। ©Writer Mamta Ambedkar #good_night गुडनाइट