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अरसा लगा जिससे नफरत करने में, उन नफरतो को फिर से ह

अरसा लगा जिससे नफरत करने में, उन नफरतो को फिर से हटा रहा हूँ मैं।
नये सपने फिर से दिखा रही वो , उन सपनो को फिर से सजा रहा हूँ मैं।
जो बोझ दूरियों का दिया था उसने, उस बोझ को अबतक उठा रहा हूँ मैं।
नये वफ़ाये फिर से कर रही है वो, उसकी बेवाफ़ियों को फिर से भुला रहा हूँ मैं।
खुश रहने को उसके साथ जाने क्यूँ खुद को फिर से सता रहा हूँ मैं।
साथ फिर से हंस रही है वो, उसके सामने अपने ग़मों को फिर से छुपा रहा हूँ मैं।
जो किये ही नही कभी मैंने, वो वादे भी निभा रहा हूँ मैं।
मुझसे फिर बात कर रही है वो, उसकी बातों में फिर से आ रहा हूँ मैं। #love #ishq #life #shayari #poems
अरसा लगा जिससे नफरत करने में, उन नफरतो को फिर से हटा रहा हूँ मैं।
नये सपने फिर से दिखा रही वो , उन सपनो को फिर से सजा रहा हूँ मैं।
जो बोझ दूरियों का दिया था उसने, उस बोझ को अबतक उठा रहा हूँ मैं।
नये वफ़ाये फिर से कर रही है वो, उसकी बेवाफ़ियों को फिर से भुला रहा हूँ मैं।
खुश रहने को उसके साथ जाने क्यूँ खुद को फिर से सता रहा हूँ मैं।
साथ फिर से हंस रही है वो, उसके सामने अपने ग़मों को फिर से छुपा रहा हूँ मैं।
जो किये ही नही कभी मैंने, वो वादे भी निभा रहा हूँ मैं।
मुझसे फिर बात कर रही है वो, उसकी बातों में फिर से आ रहा हूँ मैं। #love #ishq #life #shayari #poems
dipakkumar9599

Dipak Kumar

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