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अगर चोट लगे कभी तेरे तन को, तो मेरी परछाई अस्पताल

अगर चोट लगे कभी तेरे तन को,
तो मेरी परछाई अस्पताल घूम आती है।।
क्या तेरी परछाई मेरे तन से दूर रह पाती है??
यह घड़ी विरह की सामने है खड़ी।।
फिर भी ना जाने यह प्रेम 
तुझ पे क्यों उमड़ पड़ी।
यह तो सब जानते हैं प्रेम में बिरह नहीं।।
यह तो आजकल की सच्चाई है दोस्त,
प्यार के बाजार में प्रेम की वस्तु नहीं। #Narazgi #love
अगर चोट लगे कभी तेरे तन को,
तो मेरी परछाई अस्पताल घूम आती है।।
क्या तेरी परछाई मेरे तन से दूर रह पाती है??
यह घड़ी विरह की सामने है खड़ी।।
फिर भी ना जाने यह प्रेम 
तुझ पे क्यों उमड़ पड़ी।
यह तो सब जानते हैं प्रेम में बिरह नहीं।।
यह तो आजकल की सच्चाई है दोस्त,
प्यार के बाजार में प्रेम की वस्तु नहीं। #Narazgi #love