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.........हर बार सोचती हूं ......................!!

.........हर बार सोचती हूं ......................!!
   कभी जमीन बनकर चलूं ....................
कभी आसमाँ बनू .................….!!!!!!
जितने सितारे नहीं .. गगन में...............
..........उतने सौगातें लेकर चलू..........
पर सोचती हूं अब मैं ................!!!!!!
सिर्फ कांटो पर ही चलू................
नफरतों के दूनिया में .......................
भला कैसे प्रेम  बन कर चलू ...........
बोलो ........ ( कान्हा ) ... ?
कैसे प्रेम बनकर चलू.........???????

©वंदना ....
  # इस दुनिया में भला कैसे चलू ..☺️

# इस दुनिया में भला कैसे चलू ..☺️ #कविता

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