दूध को मट्ठा होने में,जनता को इकट्ठा होने में अंगूर को दारू होने में, इन्सां को जुझारू होने में समय लगेगा रात की चादर फटने में और दुख के बादल छटने में बंदे की हक़ीक़त जानने में, रंग अपनों का पहचानने में समय लगेगा सुप्रभात। किनारे तक पहुँचने में, समय तो लगेगा ही... #समयतोलगेगा #collab #yqdidi #yqbaba #freshthoughts #decemberpoem #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi