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गई निखर...स्याही सरपट यूँ ही... रूह की मेरी...राहो

गई निखर...स्याही
सरपट यूँ ही...
रूह की मेरी...राहों पर
तक फलक ...लिया निहार 
टकटकी में...उसकी
नैनो से बूंदे...गयी बिखर...जब
मेरी...बाहो पर
पहलू तमाम...लिया करता
समेट...तब से
कागज की...मैं...कस्तियो में
एक...अनजाना सा..शख्स
था  लगा रहने..जब से 
दिल की...मेरी बस्तियों मे !!

©Raj choudhary #वो__पगली
गई निखर...स्याही
सरपट यूँ ही...
रूह की मेरी...राहों पर
तक फलक ...लिया निहार 
टकटकी में...उसकी
नैनो से बूंदे...गयी बिखर...जब
मेरी...बाहो पर
पहलू तमाम...लिया करता
समेट...तब से
कागज की...मैं...कस्तियो में
एक...अनजाना सा..शख्स
था  लगा रहने..जब से 
दिल की...मेरी बस्तियों मे !!

©Raj choudhary #वो__पगली