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सूख गए चौराहे वाले पेड़ नहीं अब छाया है वही रुके आ

सूख गए चौराहे वाले पेड़ नहीं अब छाया है
वही रुके आराम करे अब पास रखे जो माया है
पग पग चले रुपैया से अब चलना फिरना भरी है
किस्सा भी व्यापार बना सब कहना नही जरूरी है
अब यांदो को कहां संजोए याद भला क्या क्या रक्खे
चार शहर चालिस कमरे में रुके किसे हम घर समझे
 मातृभूमि और कैसी बोली फ्लैट में बचपन उपज रहा
कहां बोलौआ सोहर गारी, आस पड़ोसी सब लाचारी
परदेशी पापा का बेटा,बदल रहा घर बारी बारी
किसे कहे अब गांव वो अपना,किसका देखे सपना
बिन गीता का पाठ किए ही मोह छुड़ाया अपना
चौराहे गलियों वाले अब जीकर जीवन रीत गए
गलियों को गले लगाने वाले पिछले मौसम बीत गए

©दीपेश #New 
#बदलाव 
#katusatya

#Trees
सूख गए चौराहे वाले पेड़ नहीं अब छाया है
वही रुके आराम करे अब पास रखे जो माया है
पग पग चले रुपैया से अब चलना फिरना भरी है
किस्सा भी व्यापार बना सब कहना नही जरूरी है
अब यांदो को कहां संजोए याद भला क्या क्या रक्खे
चार शहर चालिस कमरे में रुके किसे हम घर समझे
 मातृभूमि और कैसी बोली फ्लैट में बचपन उपज रहा
कहां बोलौआ सोहर गारी, आस पड़ोसी सब लाचारी
परदेशी पापा का बेटा,बदल रहा घर बारी बारी
किसे कहे अब गांव वो अपना,किसका देखे सपना
बिन गीता का पाठ किए ही मोह छुड़ाया अपना
चौराहे गलियों वाले अब जीकर जीवन रीत गए
गलियों को गले लगाने वाले पिछले मौसम बीत गए

©दीपेश #New 
#बदलाव 
#katusatya

#Trees