पूरे सा पूरा तो इस जहां में कहीं भी कुछ भी नहीं है किसी चांद में हज़ार दाग हैं कहीं पर बंजर ही जमीं है (कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें) पूरे सा पूरा तो इस जहां में कहीं भी कुछ भी नहीं है किसी चांद में हज़ार दाग हैं कहीं पर बंजर ही जमीं है कब तक झगड़ते रहोगे एक दूसरे को उंगलियां दिखा कर जो वो न कर सके अगर