हृदय के मेरे अंतर्मन को जो समझ ले वह... तो जानने को कभी मुझे आतुर जो हो वह ...तो गीत नये जब गाये कभी जो फिर राग प्रीत के अलापे वह.. तो। करे मुझे जब अर्पण मन को फिर मै भी स्वयं समर्पित। तब प्रेम को कोई भी उसके.. जरा न समझे कृत्रिम। ©Sangeeta Negi #Thoughtkavita#hindikavita#shayri#hibdiloveshayri