चाहता नहीं कोई खुद को बदलना कभी ये दुनियादारी बदल देती है... जरा सी हाइट बढ़ती है जिम्मेदरी बदल जाती है.. जब निकलते हैं अंजान शहर में ये बात समझ आती है.. कितना सुहाना था वो कच्चा रास्ता जो गाँव को शहर से जोड़ता था.. गांव शहर, देश भी छोड़ देता है वो.. जो कभी अपना तकिया भी नहीं छोड़ता था। रिस्तेदारो, दोस्तों की शिकायतो को भी वो हंस कर सेहता है... लडका बड़ा हो गया है अब..बडे शहर में रहता है.. जो मां की 100 पुकार से नहीं उठता था.. वो आज एक अलार्म से उठता है... वो दुनिया भर की तकलीफो में वो उलझा रहता है.. अपनी दुनिया में जीना भूल गया है वो.. हर किसी का स्वाल तू कौनसी दुनिया में रहता है ©kittu giftu #जिम्मेदारी गुमनाम.....