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अश्क़ बन कर मेरी आँखों से रवाँ होते हैं ,, ख़ुद ही

अश्क़ बन कर मेरी आँखों से रवाँ होते हैं ,,
ख़ुद ही देते हैं ज़ख़्म ,, ख़ुद ही दवा होते हैं ,,

दफ़्न करती हुँ ग़मों को अक्सर ही सिने में ,,
हाँ कूछ हैं कि चहरे से अयाँ होते हैं ,,

#Shaaz

©Shawaz_369
  #zakhm #sad_emotional_shayries #Shaaz