आ धमके ऐश ओ तरब क्या क्या जब हुस्न दिखाया होली ने हर आन ख़ुशी की धूम हुई यूँ लुत्फ़ जताया होली ने शेष अनुशीर्षक में... नज़ीर अकबराबादी (1735-1830 आगरा ) मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन अग्रणी शायर जिन्होंने भारतीय संस्कृति और त्योहारों पर नज़्में लिखी, होली , दीवाली , श्रीकृष्ण की नज़्मों के लिए मशहूर.... पेश है इनकी मशहूर नज़्म जो होली पर लिखी गई है... ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ आ धमके ऐश ओ तरब क्या क्या जब हुस्न दिखाया होली ने हर आन ख़ुशी की धूम हुई यूँ लुत्फ़ जताया होली ने हर ख़ातिर को ख़ुरसंद किया हर दिल को लुभाया होली ने दफ़ रंगीं नक़्श सुनहरी का जिस वक़्त बजाया होली ने