मेरा आपसे एक है सवाल जी कि, आपनें ये कैसी मुनुष्य जाती की है तैयार जी जो कभी अपना सबकुछ आप ही पर छोड़ जाते हैं तो कभी आपके होने न होने पर ही सवाल कर जाते हैं हम इंसानों के भगवान जी से शिकवे शिकायतें तो सदियों के हैं। और हों भी क्यों न। कहने को हमें आज़ादी है मगर आज़ादी भी कैसी आग, हवा, पानी जब चाहें हमें डराते रहते हैं। आज भगवान जी के नाम एक पोस्टकार्ड भेजें।