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सोशल मिडिया पर "माँ"छाई है,,,, लेकिन वृद्धाश्रम मे

 सोशल मिडिया पर "माँ"छाई है,,,, लेकिन वृद्धाश्रम में किसकी "माँ"आई है,,,,,बस यही प्रश्न मुझे झकजोर कर कर रख देता है,कि केवल  "मदर"डे के दिन माँ के साथ सेल्फी खीचकर व्हाट्स अप पर,फेसबुक्स या अन्य सोशल मिडिया पर डीपी अपलोड कर ,,मात्रृप्रेम को व्यक्त करना ही क्या "माँ"के प्रति आपका सच्चा प्रेम है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,देखो,,,,,,,,वह सेल्फी लेकर क्या आप अपनी माँ से पुछो कि क्या वास्तव मे आपकी माँ को आप वही सम्मान देते हो जो ,माँ दिवस पर देते हो,,,,,ऐसा क्यों,,, क्योकि दुनियाँ दिखावा पसंद करती है,,बाकि,,सोशल मिडिया पर "इतने"मात्रृभक्त है"जिसकी गणनाओ से लगता शायद कोई माँ दुखी नही होगी,,, लेकिन कलयुग के श्रवण कुमारों,,,, वृद्धाश्रम किसकी देन,,,,,आपकी या आपके मातृप्रेम की,,,,,,,,,,,,,,यही प्रश्न मेरी जिज्ञासा है ,,,,,,,,,,,हर समय हम पाश्चयात संस्कृति मे कमियाँ निकालते है जबकि उन्होने ने तो बचपन से यही सिखा,,,,,,, लेकिन हम तो केवल अपना रहे है वह भी खोखला पन,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे दुनियाँ की कोई संस्कृति खराब नही,जिस दिन से हमाराी मानसिकता सही होगी,,,,,,,,,हमे सब बराबर लगेगी,,,,अत आप हमेशा कर्तव्य रत रहे ताकी वृद्धाश्रम की जरुरत ना हो,,,,,,,,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड की कृत,,,9549518477 Namita Writer Wakil Mandal Ekta Kumari Priya Ranjit Mandal
 सोशल मिडिया पर "माँ"छाई है,,,, लेकिन वृद्धाश्रम में किसकी "माँ"आई है,,,,,बस यही प्रश्न मुझे झकजोर कर कर रख देता है,कि केवल  "मदर"डे के दिन माँ के साथ सेल्फी खीचकर व्हाट्स अप पर,फेसबुक्स या अन्य सोशल मिडिया पर डीपी अपलोड कर ,,मात्रृप्रेम को व्यक्त करना ही क्या "माँ"के प्रति आपका सच्चा प्रेम है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,देखो,,,,,,,,वह सेल्फी लेकर क्या आप अपनी माँ से पुछो कि क्या वास्तव मे आपकी माँ को आप वही सम्मान देते हो जो ,माँ दिवस पर देते हो,,,,,ऐसा क्यों,,, क्योकि दुनियाँ दिखावा पसंद करती है,,बाकि,,सोशल मिडिया पर "इतने"मात्रृभक्त है"जिसकी गणनाओ से लगता शायद कोई माँ दुखी नही होगी,,, लेकिन कलयुग के श्रवण कुमारों,,,, वृद्धाश्रम किसकी देन,,,,,आपकी या आपके मातृप्रेम की,,,,,,,,,,,,,,यही प्रश्न मेरी जिज्ञासा है ,,,,,,,,,,,हर समय हम पाश्चयात संस्कृति मे कमियाँ निकालते है जबकि उन्होने ने तो बचपन से यही सिखा,,,,,,, लेकिन हम तो केवल अपना रहे है वह भी खोखला पन,,,,,,,,,,,,,,,,,,वैसे दुनियाँ की कोई संस्कृति खराब नही,जिस दिन से हमाराी मानसिकता सही होगी,,,,,,,,,हमे सब बराबर लगेगी,,,,अत आप हमेशा कर्तव्य रत रहे ताकी वृद्धाश्रम की जरुरत ना हो,,,,,,,,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड की कृत,,,9549518477 Namita Writer Wakil Mandal Ekta Kumari Priya Ranjit Mandal