दिल टूटा तो आवाज़ कहां अाई आंखों में आंसू लेकर प्यास कहां बुझ पाई आइनो के दुनियां में हम खुद को देखने चले थे हक़ीक़त सामने आ गई यारों हम तो आज भी उसे याद कर रोते हैं दर्द दिखा नहीं हम सवाल कर बैठे जिंदगी के हंसी लम्हों पर अतीत के कुछ पन्ने जोड़ बैठे याद करते रहे उसे जवाब ढूंढते रहे मालूम कैसे न हुआ मुझे हम तो आज भी उसे याद कर रोते हैं कब्र में सोए हो कैसे भूल गए तुम यादों के भवर में क्यूं उलझ गए हम सांसे ख़त्म होने वाली है मेरी तन्हाइयों के जरिए क्यूं बिखरे हम ख़्वाब भी धुंधले दिखने लगे बेवजह ही हम ज़ख्म छुपाने लगे धड़कन मेरी नमी लिखने लगी हम तो आज भी उसे याद कर रोते हैं साथ छोड़ दिया तुमने तो मैं तुझे भूल जाऊं क्या तुझे आवाज़ देकर ख़ामोश हो जाऊं क्या ये मेरे इश्क़ का पैग़ाम तो नहीं तुझे बेवफा साबित कर दूं क्या ये तो तेरा फ़ैसला था अधूरे सफ़र में छोड़ जाने का ,,,,,,,,,,,,,,