बस का नही कुछ क्या करूं ?| लाचारी है इतनी कि तिल-तिल मरूं || ख्वाब थे जो देखे,सब टूट गए | लगता है मेरे अल्ला-मौली सब मुझसे रूठ गए || मर रहा हूं पल-पल उनकी याद में | कहते हैं अब नही है समय पर जरूर आएगा बाद में || उनकी खुशी के लिए ही मै खुश होता हूं | ये मेरा दिल ही जानता है कि अदंर से कितना रोता हूं || पर अब कुछ नही, कर लेगें समझोता और लड़ेगें चाहे जो भी हालात हो | रहेगें खुश-रखेगें खुश और दबा देगें दिल मे उठने वाले हर एक ज़जबात को || :- Jatin #Inside me