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शाम हो चुकी थी... इमारतों में यादें शामिल हो चुकी

शाम हो चुकी थी...
इमारतों में यादें शामिल हो चुकी थी...
       किसे पता था मोहब्बत के जनाजे़ निकल जाएगे....
         तेरे मेरे दरमियान सब बातें राख हो चुकी थी..... 
 घर हमारा ही होता है लेकिन यहाँ तक पहुँचना भी हमारे लिए मुश्किल हो जाता है, क्योंकि घर  पर हमारा शरीर तो पहुँच जाता है, मन बाहर ही भटकता रहता है।
#घरपहुँचते #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi🌻
शाम हो चुकी थी...
इमारतों में यादें शामिल हो चुकी थी...
       किसे पता था मोहब्बत के जनाजे़ निकल जाएगे....
         तेरे मेरे दरमियान सब बातें राख हो चुकी थी..... 
 घर हमारा ही होता है लेकिन यहाँ तक पहुँचना भी हमारे लिए मुश्किल हो जाता है, क्योंकि घर  पर हमारा शरीर तो पहुँच जाता है, मन बाहर ही भटकता रहता है।
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oshojain5923

Osho Jain

New Creator

घर हमारा ही होता है लेकिन यहाँ तक पहुँचना भी हमारे लिए मुश्किल हो जाता है, क्योंकि घर पर हमारा शरीर तो पहुँच जाता है, मन बाहर ही भटकता रहता है। #घरपहुँचते #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi🌻