उन महफ़िलों में क्या जाना जहाँ न कोई दर, न कोई ठिकाना रिश्तों की ताबीज़ संभालते आना नफ़रत में लापता उन नासमझों को बदलते आना प्यार से रिश्ते पिरोना इसी से वास्ता, इसी में महज़ ठिकाना ढूंढ़ना #yqdidi #yqhindi #yqhindipoetry #hindiwriters #रिश्तों #महफ़िलों #दर #ठिकाना