“पहचान” कुछ पहचान में नही आते कभी, रूप बदल फिर आ धमकते है। कभी बन कोयले की भांति जलते, कभी बन शिखर सूर्य चमकते हैं। मन्द गति से कभी उनका विवेचन, तो कभी हरा देते मन का तेज। कुछ संज्ञान में आने से घबराते है, कुछ सतगुरु बन ज्ञान झाड़ते हैं। #पहचान, #Nojoto #Share #Part #Lovewrite. pooja negi# डॉ.अजय मिश्र