पहले-पहले प्यार के बारिश में वो ऐसे भीगी थी सुबह-शाम मेरे बाहों में वो रहा करती थी दो-चार घंटे नहीं, वो तो चौबीस घंटे फोन पर बातें किया करती थी तुम बिन जीना गवारा नहीं मुझको हर रोज वो यही कहा करती थी एक रोज जवानी ने रखा कदम उसके दहलीज पर अब दिल से नहीं वो दिमाग से सोचा करती थी सुबह से शाम वो अपने कामों में मशगूल रहा करती थी जब मैं पूछा करता था, क्या वक्त नहीं है मेरे लिए हंसकर वो जवाब दिया करती थी बाबू, अब जवान हूं मैं, सबकी नजरें मुझ पर रहती हैं मम्मी और दीदी हर पल पास ही तो रहती हैं वक्त मिला तो फिर मैं आती हूं मम्मी ने फिर आवाज लगाई, मम्मी के पास मैं जाती हूं फिक्र ना करो मैं आपके पास ही तो रहती हूं वो षड्यंत्र रचा करती थी, मेरे अरमानों के कत्ल का होंठों पर शहद जैसे मुस्कान, दिल में खंजर छुपाए रहती थी मैं ठहरा पागल आशिक, उसकी हर बातों में सर हिलाया करता था उसकी झूठी बातों को सच माना करता था। ©M.S.R. Aditya Dhanraj #msradityadhanraj #Love #Life