खिलते महकते हुए, किसी गुलाब की तरह., ये जिंदगी है, एक हुई खुली किताब की तरह.. उससे बेहतर शख्स, भला और कौन होगा ?? जो मुफ़लिसी में भी रहे, किसी नवाब की तरह.. सौ दफा उसे जांचा, परखा, आजमाया मैंने., वो हर बार खरा निकला, किसी हिसाब की तरह.. मेरी पलकों से ओझल, वो कभी हुआ ही नहीं., इन आँखों में समाया है वो, किसी ख़्वाब की तरह.. मैं बिन पिये ही, अक्सर मदहोश रहता हूँ 'बिट्टू'., तेरी मौहब्बत का नशा है बिल्कुल, शराब की तरह.. βαℓяαм #खुली_किताब