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हाँ दिल ये जनता हैं मेरी ज़िन्दगी में,हाथ की लकिरों

हाँ दिल ये जनता हैं मेरी ज़िन्दगी में,हाथ की लकिरों में,किस्मत की रेखाओं में तू कतरा भर भी कहीं नहीं है.................
फिर क्यू लगता है........
हर सहर जो आफताबी रौशनी छू जाये मुझे तो यूं लगे की तू है...........
ये शरारती हवायें जुल्फो को लहरा कर,कानों की बालियों को हिला कर मेरे गालों को चूम ले तो यूं लगे की तू है.........
पत्तझड़ के गीरते पत्तों मे,सावन की फिसलती बूंदों में,जाडों की मीठी धूप में,गार्मियों की ठंडी छाँव में यूं लगे की तू है..........
किसी शब माहताबी नूर में,कहकाशाओं में,अर्श के सितारों में मेरी दुआओं के टूटते तारों में यूं लगे की तू है.......
उफ़ ये दिल की कैफियत भी अजीब है.........
हाँ दिल ये जनता हैं मेरी ज़िन्दगी में,हाथ की लकिरों में,किस्मत की रेखाओं में तू कतरा भर भी कहीं नहीं है.................
गर तू कहीं नहीं है फिर तू ही तू क्यू हर कहीं है........ #tu_hain
#tu_hain #Chanchal_mann#nojotohindi#shayari#poetry
हाँ दिल ये जनता हैं मेरी ज़िन्दगी में,हाथ की लकिरों में,किस्मत की रेखाओं में तू कतरा भर भी कहीं नहीं है.................
फिर क्यू लगता है........
हर सहर जो आफताबी रौशनी छू जाये मुझे तो यूं लगे की तू है...........
ये शरारती हवायें जुल्फो को लहरा कर,कानों की बालियों को हिला कर मेरे गालों को चूम ले तो यूं लगे की तू है.........
पत्तझड़ के गीरते पत्तों मे,सावन की फिसलती बूंदों में,जाडों की मीठी धूप में,गार्मियों की ठंडी छाँव में यूं लगे की तू है..........
किसी शब माहताबी नूर में,कहकाशाओं में,अर्श के सितारों में मेरी दुआओं के टूटते तारों में यूं लगे की तू है.......
उफ़ ये दिल की कैफियत भी अजीब है.........
हाँ दिल ये जनता हैं मेरी ज़िन्दगी में,हाथ की लकिरों में,किस्मत की रेखाओं में तू कतरा भर भी कहीं नहीं है.................
गर तू कहीं नहीं है फिर तू ही तू क्यू हर कहीं है........ #tu_hain
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