इंसानियत की फितरत का उसे एहसास नहीं है मासूम को दिया बारूद वो अनानास नहीं है बेजुबानों पे ढाया है क्यों जुल्म इस कदर मारे तड़फ के मां बच्चे को श्वास नहीं है नोंच नोच के खाया है प्रकृति को इस तरह अब धरा के ऊपर कहीं लिबास नहीं है जमीं की तपिश का अंजाम तो समझ ले सावन में भी वर्षा की अब आस नहीं है फिजाओं में घोल दिया हर ओर ही जहर घुटन भरी है जिंदगी ये कोई विकास नहीं है कुदरत के संग खिलवाड़ का नतीजा भी भुगत ले कोरोना का हुआ कहर कोई अनायास नहीं है प्रकृति का नियंता मनाने की भूल ना करना वरना कुदरत के कहर का तुझे आभास नहीं है #प्रोफेसर सत्यव्रत सिंह रावत की फेसबुक वॉल से @डॉ नवनीत शर्मा #RIPHUMANITY