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कभी "मेरी कलम"भी रूह को छू जाए महबूब की याद "आसू"

कभी "मेरी कलम"भी रूह को छू जाए
महबूब की याद "आसू" बन कर कागज़ पर उतर आए
यूं तो हजारों कहानियां पन्नो पर दफन हुईं
काश! "मेरा इश्क" किताब का पहला पन्ना बन जाए 
जमाने भर में होंगे "पहली चिट्ठी" वाले
कुछ महबूब कुछ उसकी सहेली के मतवाले
काश! चिट्ठी का इश्क फिर से लौट आए
"उनका नाम" पढ़कर फिर वो शर्माए,
"मेरी कलम" रूह को छू जाए।।

©Meri Kalam
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