तेरी पायल की खनक तेरी पायल की खनक से मैं जान जाता हूँ, की तू आ रही है, अफसोस तो बस इस बात का है, तू मुझसे मिल नहीं पा रही है । तेरी पायल की खनक से पता चलता था, की तू है अभी कहाँ पर, अभी कितनी दूर है मुझसे और कितना पास आती जा रही है । अब तो तेरी पायल की खनक भी, मुझे सुनाई नहीं पड़ती, तू मेरे आस पास से गुजरती हुई अब, दिखाई नहीं पड़ती । अब तो प्रतिदिन बढ़ रही है, मेरे इस दिल की बेचैनी, तेरी आवाज़ भी मुझे दूर - दूर तक सुनाई नहीं पड़ती । फिर से तेरी पायल की वो, आवाज़ सुननी है मुझे, इतमिनान से बैठकर बहुत सी, बातें करनी हैं मुझे । कहाँ तुम चली गई हो, मुझे बिना बताये छोड़कर, अब तो जल्द से जल्द, तुम्हारी तालाश करनी है मुझे । इस तरह अपने प्रेमी को अकेला छोड़कर, सताया मत करो, तुम जहाँ भी हो अपना पता बताकर, थोड़ी दया तो करो । जैसे ही तुम्हारा पता चलेगा, मैं शीघ्र दौड़ा चला आऊँगा, सर्वप्रथम तुम्हें गले लगाकर अपने मन की व्यथा सुनाऊँगा । - Devendra Kumar (देवेंद्र कुमार) # तेरी पायल की खनक