Isolation ward ना कोई खिड़की ना कोई रोशनदान, ना सूरज की गर्मी ना खुला आसमान। दिल रोता है देख थैले मे लिपटे इंसान, बस कुछ वक़्त और फिर शायद शमसान।। अब ये दर्द तोड़ देगा ऎसा लगता है, रूह शरीर छोड़ देगी ऎसा लगता है। तुमको फिर न देख पाऊंगा ऎसा लगता है, मगर ये कहते हैं सही हो रहे हो ऎसा लगता है।। यहाँ से निकलने का खयाल आता है, घर जाने का खयाल आता है। तेरे पास आने का खयाल आता है, ठीक हो जाने का खयाल आता है।। मै अभी जाना नहीं चाहता हूं, बस तेरे पास आना चाहता हूं। तुम खास हो ये बताना चाहता हूं, सब छोड़ के बस जीना चाहता हूं।। आज सात दिन गुजर गए, लगता है जैसे सालों गुजर गए। कल ही सामने आए थे जो, आज देर रात वो भी गुजर गए।। लगता है किसी इंतजार में हैं हम, मौत की किसी कतार में हैं हम। बस कुछ वक़्त इस संसार में हैं हम, अब सब अंधकार में हैं हम।। सब सुनके मत सोचना हार गया मैं, सब देख कर व्याकुल हो गया था मैं। एसी बहुत सी बाड़ तोड़ आया हूँ मैं, ए मौत आजा तुझसे लड़ने फिर आया हूँ मैं।। #Coronavirus #Isolationward