कितने इसरार से उसने झिझकते हुए गजरे पहनाए मासूमियत देख उसकी हम मन ही मन मुसकाए पीली साड़ी में परी लगती हो उसके ऐसे कहने पर शरमाए उसकी अदबी फ़ितरत देख अपने नसीब पर आज इतराए जो कहना था बेख़याली में बस वही वो कह नहीं पाए— % & Hello Resties! ❤️ Collab on this #rzpictureprompt and add your thoughts to it! 😊 Highlight and share this beautiful post so no one misses it!😍 Don't forget to check out our pinned post🥳