तुमने आज तक मुझे मेरी खामियाँ गिनाने के सिवा और किया ही क्या हैं? कहती हो "बाल तुम्हारे बिखरे,चेहरा तुम्हारा उतरा हैं" रातों में बातें नहीं करते,दिन में मेरी तारीफे नहीं पढ़ते; तुम क्या जानो जमाने ने मेरे और मैने उसके साथ किया क्या हैं? तुमने आज तक मुझे मेरी खामियाँ गिनाने के सिवा और किया क्या हैं? कहती हो औकात गिरा ली मैनें अपनी, साख झुका ली मैंने अपनी; तुम क्या जानो इस औकात गिराने में, मैने खोया क्या है? तुमनेआज तक मुझे मेरी खामियाँ गिनाने के सिवा और किया क्या है? मुझको अगर मुझसे रूबरू करवाना हैं, तो मुझे मेरी खामियाँ नहीं,अपनी अच्छाईयां गिनाओ; मेरी कमजोरियां नहीं, अपनी ताकत दिखाओ; चलो एक नये सफर की शुरुआत करके, मैं तुमको और तुम मुझको पा जाओ; फिर देखो,और समझो उस रात तुम्हारा दिल न टूटे इसलिए किया क्या हैं? तुमने आज तक मेरी खामियाँ गिनाने के सिवा और किया ही क्या हैं?और किया ही क्या हैं? #तुमने_किया_ही_क्या_हैं