आज फिर मैंने तुम्हें अपनी कविताओं में पिरोना चाहा, देखो न न जाने कबतक तुम्हें लिखते लिखते रात ढ़ल गई और तुम रूबाई बन गए | मेरा नाम ले पिया मैं तेरी रुबाई तेरे ही तो पीछे-पीछे बरसात आई, बरसात आई ❤ Hello Resties! ❤️