प्रदीप को थी तुमसे महोब्बत जमीं से लेकर अंबर तक की थी फ़रियाद मैने एक होने की मस्जिद से मंदर तक मेरा महबूब दबंग निकला तोड़फोड़ मचा गया अन्दर तक ©Pardeep Charan Haryanavi मेरी दुआ भी फिजूल हुई