विश्व हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर किसान भाईयों के लिए कुछ लिखा हूँ । -किसान के बच्चे हैं - किसान के बच्चे हैं, किसानी करते हैं । खुशियों के समुन्दर में बाँहों फैलाते हैं, तकलीफ़ों के रसपान करते हैं । धरती है हमारी माता सुकून से आंचल में छिप जाते हैं, सुन्दर दृश्य में मगन हो जाते हैं । पालनहारन के रक्षा में भगवान से लड़ जाते हैं, जन्मों-जन्मों तक वफादारी निभाते हैं । दुख दर्द के तांडव में विषधर बन जाते हैं, राक्षस रूपी साया हटाते हैं । सौगन्ध है धरती माँ की हर रावणों से लड़ जाना है, हरयाली में लिपट जाना है। अपनी लाल रक्तों से कीर्तिमान बढ़ाना है, किसानी क्रांति लाना है । स्वरचित- सुजित सुमन जय हिंदी जय किसान विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं ।👏 ©𝙎𝙪𝙟𝙚𝙚𝙩 𝙎𝙪𝙢𝙖𝙣(PREM) विश्व हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर किसान भाईयों के लिए कुछ लिखा हूँ । किसान के बच्चे हैं, किसानी करते हैं । प्रेम भाव के पथ पर खेतों में सजते हैं, कीचड़ में खेलते हैं । कुदाल और फावड़ा से