The conversation of a soldier with his wife She- ऐ जान! आज आपकी यादों में खो सी गई। खुली आंखों से ही आपको स्वप्न सा निहारने लगी। कुछ ही बाते हुई थी कि बाहर के कमरे से आई की आवाज़ आ गई। सुन बेटा तेरे सुहाग का फोन आ गया। आप ईश्वर हैं मेरे.. आप हैं तो मेरे माथे का सिंदूर है। दूर हो या हो पास.. मेरे दिल के प्यारे से एहसास हैं आप। हे! कब आओगे मेरे दिलबर??? अब इंतज़ार में ये दिल ठहर सा गया।।। He- नहीं प्रिये!! मैं ना ईश्वर तेरा। मैं एक फौजी हूं जो घर छोड़ बर्फ में पड़ा। पर तू है देवी मेरी... तू जिसके विश्वास पर अपना घर छोड़ आयी थी मेरे अंगना... वो तुझे छोड़ बर्फ़ की सिल्लियों में पड़ा। जो तू अपने घर की बेटी थी कभी.. वो आज मेरे आई - बाबा का लाल बन उनका सहारा बन गई। मैं क्या कहूं प्रिए??? लेकिन समझता हूं तुझे!! तू हर फर्ज़ निभा रही मेरी यादों में आंसुओ को पिए... तुम सच में अद्वितीय हो सनम... मैं शायद अभी ना आ पाऊं प्रिए.. क्योंकि मेरी छुट्टियों पर साहब की स्वीकृति नहीं।।। She- हे प्रियवर! मुझे आपसे कोई हर्ज़ या शिक़ायत नहीं। अब जब आपकी यादें मुझे रूलाएंगी.. मैं टुकड़ों में बंट खुद को समझा लूंगी... *क्यों रोती है पगली उनके लिए.. जो जन - जन को चैन की सांसे दिला रहे, तू जन - जन के लिए कुछ ना कर सकी तो अाई - बाबा संग एक लाल का ही फ़र्ज़ निभाती रहे...* मैं एक आई - बाबा का लाल तो बन गई पर आप हर एक जन की धडकनों में बसते हैं सनम....!!! अब कुछ ना कहूंगी वरना रो दूंगी मैं... बस जब इजाज़त मिले तो मेरे पास चले आना प्रिए...!!! ©priyastarkgold #the_conversation_of_a_soldier_with_his_wife