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(एहसास पुराने जमाने का) "बहुत याद आता है वो जमाना

(एहसास पुराने जमाने का)

"बहुत याद आता है वो जमाना,
 जब पूरा परिवार माँ के चारो ओर बैठकर,
 एक साथ भोजन करता था।
               ना कोई टेबल, ना कोई कुर्सी,
               आसन जमीन पर, माँ बिछाती थी।
निकल आये अचानक कोई,
आओ बैठो करो भोजन कहते थे,
लो राम का नाम, कहकर,
दूजा सत्कार करता था।
            आजकल बिन छाते के निकलता नही कोई, 
            माँ तपती दोपहरी में, चूल्हे पर रोटी बनाती थी।
आजकल सारा खाना जब, बन जाता हैं,
तब कहीं जाकर, टेबल सजाई जाती हैं,
              माँ पूरे परिवार को,
              एक साथ गर्म रोटी खिलाती थी,
चटनी भी आजकल मिक्सी में पिसी जाती है,
खुशबु दूर तक जाती थी, चटनी माँ के सिल बट्टे की।
           खाना खाने के लिए आजकल हाथ बस धोते हैं,
           हाथ ,पैर, मुँह, धोना पुराने जमाने की रीत थी,
बहुत सी बातें हैं, दिल मे दफ़न,
उस पुराने जमाने की।
               रोटी धधकते चूल्हें की, वो माँ के हाथों की,
               सुनाई छोटी सी एक कहानी थी।
इस याद को एहसास बस वहीं कर पायेगा,
जिसने बिताया हैं जीवन अपना,
उस हसीन लम्हों में ।।"

पायल कश्यप। एहसास पुराने जमाने का।
(एहसास पुराने जमाने का)

"बहुत याद आता है वो जमाना,
 जब पूरा परिवार माँ के चारो ओर बैठकर,
 एक साथ भोजन करता था।
               ना कोई टेबल, ना कोई कुर्सी,
               आसन जमीन पर, माँ बिछाती थी।
निकल आये अचानक कोई,
आओ बैठो करो भोजन कहते थे,
लो राम का नाम, कहकर,
दूजा सत्कार करता था।
            आजकल बिन छाते के निकलता नही कोई, 
            माँ तपती दोपहरी में, चूल्हे पर रोटी बनाती थी।
आजकल सारा खाना जब, बन जाता हैं,
तब कहीं जाकर, टेबल सजाई जाती हैं,
              माँ पूरे परिवार को,
              एक साथ गर्म रोटी खिलाती थी,
चटनी भी आजकल मिक्सी में पिसी जाती है,
खुशबु दूर तक जाती थी, चटनी माँ के सिल बट्टे की।
           खाना खाने के लिए आजकल हाथ बस धोते हैं,
           हाथ ,पैर, मुँह, धोना पुराने जमाने की रीत थी,
बहुत सी बातें हैं, दिल मे दफ़न,
उस पुराने जमाने की।
               रोटी धधकते चूल्हें की, वो माँ के हाथों की,
               सुनाई छोटी सी एक कहानी थी।
इस याद को एहसास बस वहीं कर पायेगा,
जिसने बिताया हैं जीवन अपना,
उस हसीन लम्हों में ।।"

पायल कश्यप। एहसास पुराने जमाने का।

एहसास पुराने जमाने का। #कविता