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आखिर क्यों है ऐसा मां को धरती तो पिता को आसमान का

आखिर क्यों है ऐसा
मां को धरती तो पिता को आसमान का मिला दर्जा
माना मां नव माह गर्व पालती हैं
लेकिन पिता जीवन भर पालते हैं
फिर भी मां का ही क्यों ऊंचा है दर्जा
आखिर क्यों है ऐसा
मां खुद भूखी रहकर हमे खिलाती है पर
पिता भी खुद भूखा रहकर हमारे लिए भोजन लाता है
फिर भी मां का ही बलिदान  ऊंचा है
आखिर क्यों है ऐसा
जब मां दुखी होती हैं तो पिता जी से कह देती हैं
लेकिन पिता जी तो किसी से भी कुछ कह नहीं सकते
वो घुट घुट कर रोते हैं पर आंसू नहीं दिखाते
फिर भी मां का ही क्यों ऊंचा है दर्जा
आखिर क्यों है ऐसा

©विवेक तिवारी
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