##आधी है## चांद भी शाम से जलता है रात आधी है लफ्ज खाली से हो गए हैं बात आधी है किसी की क्या है हकीकत ये खुदा ही जाने मेरी नजरों में अब सच की बिसात आधी है किसी से क्यूँ हो शिकायत यकीन था खुद पर मुझमें मेरे वजूद की तलाश आधी है क्या लिखूँ और हम "स्नेह" थक गए हैं अब इस जमाने में क्यूँ? लहजे -इजात आधी है ©abhilasha pandey