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ये किसका अफ़सूँ हैं ये किसका चिराग है जिन्न निकल र

ये किसका अफ़सूँ  हैं ये किसका चिराग है
जिन्न निकल रहा है ये किसकी करामात है

ज़हर घुल रहा है हवाओं में मंज़र ख़ाइफ़ है
बयाबाँ  थी  जो, वो  ज़मीन  अब रेगज़ार है

कोई  नहीं है देखने को कोई नहीं सुनने को
गुम है महताब कहाँ, गुम कहाँ आफ़ताब है

ग़ाफ़िल है लोग यहाँ लरज़ रहे हैं लोग यहाँ
हालात  देखो  अहल-ए-वतन  ज़ार ज़ार है

जन्नत था जो वो जहन्नुम हो रहा है जहाँ
जैसे 'सफ़र' हयात का सबका अज़ाब है अफ़सूँ- जादू
जिन्नात- जिन्न
ख़ाइफ़- डारे हुए
बयाबाँ- garden
ग़ाफ़िल- बेसुध
अहल-ए-वतन- वतन के लोग

🌹सुप्रभात 🌹
ये किसका अफ़सूँ  हैं ये किसका चिराग है
जिन्न निकल रहा है ये किसकी करामात है

ज़हर घुल रहा है हवाओं में मंज़र ख़ाइफ़ है
बयाबाँ  थी  जो, वो  ज़मीन  अब रेगज़ार है

कोई  नहीं है देखने को कोई नहीं सुनने को
गुम है महताब कहाँ, गुम कहाँ आफ़ताब है

ग़ाफ़िल है लोग यहाँ लरज़ रहे हैं लोग यहाँ
हालात  देखो  अहल-ए-वतन  ज़ार ज़ार है

जन्नत था जो वो जहन्नुम हो रहा है जहाँ
जैसे 'सफ़र' हयात का सबका अज़ाब है अफ़सूँ- जादू
जिन्नात- जिन्न
ख़ाइफ़- डारे हुए
बयाबाँ- garden
ग़ाफ़िल- बेसुध
अहल-ए-वतन- वतन के लोग

🌹सुप्रभात 🌹

अफ़सूँ- जादू जिन्नात- जिन्न ख़ाइफ़- डारे हुए बयाबाँ- garden ग़ाफ़िल- बेसुध अहल-ए-वतन- वतन के लोग 🌹सुप्रभात 🌹 #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #क़लम_ए_हयात #yqurduhindipoetry #collabwithक़लम_ए_हयात #चित्रप्रतियोगिता38_Qeh