Nojoto: Largest Storytelling Platform

हजारों नस्ल है पर जाति ना कोई परिन्दों की बड़

हजारों  नस्ल  है  पर  जाति  ना  कोई परिन्दों की
बड़ी खलती मुझे, गर हो सितम-ज़ाई परिन्दों की

मुलायम  पर,  अनोखे  रंग, शक्लें  है  सयानी सी
करें ही क्यों, क़फ़स में  हम गिरफ़्तारी परिन्दों की

मुझे  मेरी  घड़ी  बज  कर  उठाए  तो खटकती है 
सुकूँ  मिलता, अगर आवाज से जगती परिन्दों की

मिरे  घर  में  सजाई   है   कई   तस्वीर   मैंने   भी
मिरे   दिल  को   बहुत  भाती  नुमूदारी परिन्दों की

कई  घण्टों  मिरे   छत   पे   निहारी  राह  मैंने  तो
मगर मुझ को दिखी ना इक भी परछाई परिन्दों की वज़्न -1222/1222/1222/1222
हजारों  नस्ल  है  पर  जाति  ना  कोई परिन्दों की
बड़ी खलती मुझे, गर हो सितम-ज़ाई परिन्दों की

मुलायम  पर,  अनोखे  रंग, शक्लें  है  सयानी सी
करें ही क्यों, क़फ़स में  हम गिरफ़्तारी परिन्दों की

मुझे  मेरी  घड़ी  बज  कर  उठाए  तो खटकती है 
सुकूँ  मिलता, अगर आवाज से जगती परिन्दों की

मिरे  घर  में  सजाई   है   कई   तस्वीर   मैंने   भी
मिरे   दिल  को   बहुत  भाती  नुमूदारी परिन्दों की

कई  घण्टों  मिरे   छत   पे   निहारी  राह  मैंने  तो
मगर मुझ को दिखी ना इक भी परछाई परिन्दों की वज़्न -1222/1222/1222/1222
poempoetess5590

poempoetess

New Creator