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सबका ख्याल करते- करते, तू खुद का ख्याल करना ही भू

सबका ख्याल करते- करते,

तू खुद का ख्याल करना ही भूलती चली गयी।

सबको खूश रखते -रखते,

तू खुद अपनी खुशी ही छोड़ती चली गयी।

कहने को तो ,तू बहुत खूश रहती हैं माँ

मगर दूसरों को मुस्कान देते -देते,

तू अपनी मुस्कान ही खोती चली गयी।

दिन रात सबकी कमी का ख्याल करती हो,

मगर खुद की जिन्दगी की कमी को नज़रंदाज़ करती चली गयी।

तू इंसान हैं माँ, कोई कठपुतली नही,

जो सबके हिसाब से उँगलियों पर चलती- चली गयी।

सबकी गलतियों को माफ़ करते- करते,

तू खुद ही शरारते करना भूलती चली गयी।

इन्शान गलतियों का पुतला हैं

ये हमे बताकर,

तू खुद अपनी छोटी -छोटी गल्तियों पर लोगो के ताने सुनती चली गयी।

तुझे इंसान कहूँ या भगवान का ही एक रुप?

जो हमारी सारी फरियदों को पुरा करती चली गयी।

दूसरों के खातिर जीते- जीते,

तू खुद के लिए ही जीना छोड़ती चली गयी।

सबका ख्याल करते- करते,

तू खुद का ख्याल करना ही भूलती चली गयी।।

__✍✍उन्मुक्त संजना

©unmukt sanjana #mummaa #unmuktsanjana #untoldwords
सबका ख्याल करते- करते,

तू खुद का ख्याल करना ही भूलती चली गयी।

सबको खूश रखते -रखते,

तू खुद अपनी खुशी ही छोड़ती चली गयी।

कहने को तो ,तू बहुत खूश रहती हैं माँ

मगर दूसरों को मुस्कान देते -देते,

तू अपनी मुस्कान ही खोती चली गयी।

दिन रात सबकी कमी का ख्याल करती हो,

मगर खुद की जिन्दगी की कमी को नज़रंदाज़ करती चली गयी।

तू इंसान हैं माँ, कोई कठपुतली नही,

जो सबके हिसाब से उँगलियों पर चलती- चली गयी।

सबकी गलतियों को माफ़ करते- करते,

तू खुद ही शरारते करना भूलती चली गयी।

इन्शान गलतियों का पुतला हैं

ये हमे बताकर,

तू खुद अपनी छोटी -छोटी गल्तियों पर लोगो के ताने सुनती चली गयी।

तुझे इंसान कहूँ या भगवान का ही एक रुप?

जो हमारी सारी फरियदों को पुरा करती चली गयी।

दूसरों के खातिर जीते- जीते,

तू खुद के लिए ही जीना छोड़ती चली गयी।

सबका ख्याल करते- करते,

तू खुद का ख्याल करना ही भूलती चली गयी।।

__✍✍उन्मुक्त संजना

©unmukt sanjana #mummaa #unmuktsanjana #untoldwords