सागर की लहरों सी होती है मां, धूप में छांव देती है मां। मां के आंचल में सारा विश्व समाया, इक प्यारा सा एहसास है मां। मां की ममता को शायद ही किसी ने समझा, जिसने समझा उसने प्रभू का दर्जा दिया। कहने को तो ये इक छोटा सा शब्द है, किंतु इसमें सम्पूर्ण विश्व समाहित है। नौ महीने तक बच्चे को कोख में पालने वाली, अपने बच्चे के आने का इंतेज़ार करती है। उस बच्चे की पहली किलकारी, उसके जीवन को अर्थपू्र्ण बनाती है।। घर आने के बाद मां को ढूंढना, चाहे कोई काम हो न हो। बच्चे को अच्छे-बूरा का ज्ञान कराना उसकी पहली शिक्षिका होती है मां।। मां पर स्नेह लूटाने वाले, उनके चरण कमलों पर चलने वाले, हर कठिनाईयों को पार किया। दुनिया में ऊंची मुकाम हासिल किया।। ©Daily_Diary #Pattiyan