सही और ग़लत कभी निकलती नहीं बाहर दब जाती वहीं है। बातें दिल की दिल में ही हाल कब से यही हैI बावजूद लाख कोशिश के भी जकड़ा हुआ हूँ दर्द देती हैं जो यादें उनको ही पकड़ा हुआ हूँ॥ मनोभाव इस तरह के ही कुछ तुम्हारे भी होंगे। कई अनकही चाहतें ख्वाब कुछ कँवारे भी होंगे। हंसी महफिल में भी लिपट जाती होगी उदासी। सांसों को तड़पती जल बिन जैसे मीन प्यासी॥ टूट जाता है जब दिल तो होता अक्सर यही है। पता ही नहीं चलता क्या गलत और क्या सही है देकर वादों का भरोसा किसने किसको ठगा है? कौन सच्चा है अच्छा है किसके दिल में दग़ा है? ग़र समझ सको तो कदम फ़िर आगे बढ़ाना। अपने दिल की ही सुनना क्या कहेगा ज़माना? बहुत बड़ी है दुनिया आना जाना लगा रहता है। इज़्ज़तदार मरते नहीं यहाँ ऐसा कौन कहता है? किसी का दिल मत दुखाना इतनी सी ही अर्जी है। फिर जीयो जी भरकर के जैसी भी तेरी मर्जी है। यहाँ के लोगों को अपने लिए भी तो फुर्सत नहीं है। कौन देखता चलता है कौन गलत है कौन सही है? नई राह कभी निकलती नहीं बाहर दब जाती वहीं है। बातें दिल की दिल में ही हाल कब से यही हैI बावजूद लाख कोशिश के भी जकड़ा हुआ हूँ दर्द देती हैं जो यादें उनको ही पकड़ा हुआ हूँ॥ मनोभाव इस तरह के ही कुछ तुम्हारे भी होंगे। कई अनकही चाहतें कुछ ख्वाब कँवारे भी होंगे। हंसी महफिल में भी लिपट जाती होगी उदासी।