रोती तो नहीं हूं बस.... मुस्कुराना भूल गयी हूं! पहले की तरह अब मैं.. जीना भूल गयी हूं! जाने किस बात की सोच में खोई सी रहती हूं.. ख़ामोश रहने लगी हूं.. बक-बक भूल गयी हूं! लोगों से अब दिल मेरा शिकायत का नहीं करता! कोई है भी क्या अपना..? मैं यह भी भूल गयी हूं! सहम सी गई हूं मैं अन्दर से! ना जाने क्यों मैं एक अरसे से.. खुल कर हंसना भूल गयी हूं! दिल मेरा भी करता है ख्वाब हकीकत हो मेरा.. जब से टूटी हूं ख्वाब सजाना भूल गयी हूं! 🖤