अपना शहर भी तब अजनबी सा लगता है जब हाथ मिलाना किसी से बेबसी सा लगता है.. रास्तों में ठोकर लगना बात पुरानी हो चली अब अंधेरा भी हमें रौशनी सा लगता है.. जाने कहाँ रहता है कहते हैं जिसे खुदा कभी वो मुझमें ही छिपा आदमी सा लगता है.. कुछ इस कदर बदल रही है ये दुनिया प्यार भरा इक लफ्ज भी जिन्दगी सा लगता है.. खामोश दीवारें भी कई किस्से बयां करती हैं हर खंडहर अक्सर मुझे, मुझ ही सा लगता है.. -KaushalAlmora Full version of "शहर" #शहर #अजनबी #yqdidi #yqbaba #zindagi